हम कौन है?

संस्था का संशिप्त इतिहास

सरयूपारीण ब्राह्मण सभा का गठन 27-Mar-1984 को महंत श्री रविशंकर दुबे के मार्ग दर्शन में समाज के शुभ चिन्तक एवं सक्रीय सदस्यों द्वारा किया गया। समीति का पंजीकरण रायपुर कार्यालय से पंजिकृत कराया गया जिसका पंजीयन क्रमक 13579 प्राप्त हुआ। इसका कार्यालय भागीरथी मंदिर नयापारा, रायपुर रखा गया। जो कुछ समय पश्चात वर्त्तमान कार्यालय संजय नगर टिकरापार में स्थान्तरित हुआ।


संस्था के संथापक सदस्य –

  1. श्री आर . के . तिवारी
  2. श्री शारदा प्रसाद तिवारी
  3. श्री कृपाशंकर त्रिपाठी
  4. श्री यस . पी . दुबे
  5. श्री लालताप्रसाद मिश्र
  6. श्री लक्ष्मण प्रसाद मिश्रा
  7. श्री जी . पी . कुरारिया
  8. श्री फूल चंद्र मिश्र
  9. श्री भगवन दीन द्विवेदी
  10. श्री चंद्रपाल मिश्र
  11. श्री दाऊ दयाल मिश्र
  12. श्री बबन प्रसाद मिश्र
  13. श्री श्यामता प्रसाद पाण्डेय
  14. श्री देवीशंकर मिश्र
  15. श्री रविशंकर दुबे
  16. श्री पन्ना लाल शुक्ल
  17. श्री हनुमान प्रसाद दुबे
  18. श्री श्याम लाल दुबे
  19. श्री उमाशंकर मिश्र
  20. श्री ओंकार नाथ मिश्र
  21. श्री अशोक कुमार त्रिपाठी

संस्था का संविधान प्रो. श्री जी पी कुरारिया जी के मार्ग दर्शन में बनाया गया। जिस संविधान के तहत आज भी संस्था का संचालन हो रहा है। सभा संचालन के लिए २१ सदस्यों की कार्यकारिणी का प्रावधान हैं जिनका चुनाव सभा के सदस्यों द्वारा किया जायेगा। कार्यकारिणी का कार्यकाल दो वर्षों का होगा। कार्यकारणी के सदस्य एक अध्यक्ष, दो उप्याध्यक्ष, एक महासचिव, एक असचिव, एक कोशाध्यश का चयन करेंगे।

सभा के दवारा :-

  • आम सभा
  • कार्यकारिणी की बैठक का प्रावधान हैं।

इस संस्था को उत्तरोतर गति प्रदान करने में हमारे पूर्व अध्यक्षों का सहयोग रहा : -

  1. श्री रविशंकर दुबे
  2. श्री लक्ष्मनप्रसाद शास्त्री
  3. श्री बी. डी. दिवेदी
  4. श्री राकेश गौतम
  5. श्री शिवमूरत तिवारी (भोला) (कार्यकारी अध्यक्ष)
  6. श्री टी. डी त्रिपाठी
  7. श्री दशरथ शुक्ला
  8. श्री रमाशंकर शुक्ला
  9. श्री दिनेश मिश्रा
  10. प्रो. जी. पी. कुरारिया

संस्था के उद्देश्य

  1. समाज में एकता निर्माण करना ।
  2. समाज में प्रचलित कुरीतियाँ जो दहेज प्रथा, इत्यादि समाप्त करना ।
  3. पारस्परिक सहयोग द्वारा समाज का उत्थान करना और राष्ट्रीय भावनाओं में वृद्धि करना ।
  4. सरयूपारीण ब्राम्हण समाज में नैतिक, मानसिक शारीरिक, सांस्कृतिक, शैक्षणीक एवं वार्षिक उन्नति हेतु कार्य करना एवं समाज से गरीबी मिटाना ।
  5. समाज की अमूल्य सेवाओं के लिए समाज के सदस्यों को मत करना ।
  6. समाज के विवाह योग्य लड़के लड़कियों से सूचनाएं एका करना तथा सामूहिक विवाह और यथोपति का आयोजन करना ।
  7. सरयूपारीण ब्राह्मण समाज के नियन और विपत्ति गुरा व्यक्ति या परिवार की सहायता करना ।
  8. समाज के बालक बालिकाओं के लिए शिक्षा संस्थार एवं छात्रावास की व्यवस्था करना तथा समाज के कल्याण के लिए जीवालय, पुस्तकालय, वाचनालय बादि की स्थापना करना और उन्हें सुचारू रूप से संचारित करना ।
  9. सामाजिक सस्कार तथा विवाह तथा यज्ञोपि बाद में लगने वाली सामग्री, बर्तन का सामान तथा बरात निवास गृह वादि की व्यवस्था सस्यू- पारीण परिवारों के लिए करना और उसकी हर संभव सहायता करना |
  10. सरयूपारीण समाज के होनहार व योग्य छात्र- छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था करना ।
  11. समाज के विकलांग व्यक्तियों की सहायता करना ।
  12. समाज लोगों के बौद्धिक स्तर को उपर उठाने तथा उनमें सामाजिक चेतना जगाने तथा समाज की समस्या के समाधान और सभा की कार्यवाहिय को बताने के लिए समाचार पत्र पत्रिकाए निकालना मुद्रित करना और प्रकाशित करना ।
  13. समाज में जागृति लाने, नैतिक वस्कृतिक उन्नति के लिए सांस्कृतिक एवं सामाजिक सम्मेलन करना ।
  14. सरयूपारीण ब्राम्हण समाज की समांगीण उन्नति एवं राष्ट्रीय रथता की दृष्टि से कार्य करना ।