सरयूपारीण ब्राम्हण सभा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना पंडित रविशंकर दुबे जी (भगीरथी मन्दिर नयापारा रायपुर) के नेतृत्व में 26 जुलाई 1981को हुई। 27 मार्च1984 सरयूपारिणब्राम्हण सभा का पंजीयन,(क्रमांक 13579)रजिस्टार फर्म एंड सोसायटी कार्यालय भोपाल मध्यप्रदेश में हुआ।
यह एक प्रादेशिक संगठन है,जिस का कार्य छेत्र पूर्व में सम्पूर्ण मध्यप्रदेश था,परंतु छत्तीसगढ़ बनने के बाद अब कार्य छेत्र सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ हो गया है। इसका पंजीकृत कार्यालय पहले भागीरथी मन्दिर नयापारा रायपुर था,जो 1991 में समाज भवन के निर्माण के बाद संजय नगर रिंग रोड नम्बर 1रायपुर में स्थानांतरित हुआ।
यहाँ कुलपुरुष सन्त शिरोमणि विश्वप्रसिद्ध धर्मग्रंथ श्री रामचरितमानस जी के रचियता आचार्य तुलसीदास जी का (प्रदेश का एकमात्र) मंदिर स्थापित है।
सरयूपारिण ब्राम्हण सभा के भौतिक विकास में सभी वरिष्ठजनो ने अपने अपने कार्यकाल में यथा संभव प्रयास किया। फलस्वरूप आज समाज के पास अपना खुद का भवन है,जहाँ पर अध्यात्म एवं धर्म से जुड़े विभिन्न आयोजन समय समय पर होते रहते हैं। सरयूपारीण ब्राह्मण सभा के विकास में समाज के सभी सम्मानित दानदाताओं द्वारा यथा संभव सहयोग समय समय पर दिया गया है,और ये क्रम निरंतर जारी है। सभा यह मानती है कि सरयूपारीण परिवार में जन्मा हर व्यक्ति इस सभा का सदस्य है एवम सरयूपारीण सभा के नियमो के तहत प्राप्त सभी सुविधाओं का अधिकारी है।
संस्था का संविधान प्रो. श्री जी पी कुरारिया जी के मार्ग दर्शन में बनाया गया। सभा संचालित करने के लिए 21 सदस्यों की कार्यकारिणी का प्रावधान है। कार्यकारिणी आवश्यकतानुसार विभिन्न समितियों का गठन करतीं हैं।
अध्यक्ष